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उनकी इस बात से मन-ही-मन मुझे शर्म मालूम होने लगी, मैंने कहा, “अन्नदाता मैं नहीं हूँ। और, अगर यह सच भी हो, तो वह इतना कम है कि छूट जाय तो ...